ज्योतिषाचार्य एस.एस.नागपाल
लखनऊ। कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष अष्टमी को अहोई अष्टमी के रूप में मनाते है। इस वर्ष अहोई अष्टमी 24 अक्टूबर को है। अहोई अष्टमी तिथि का प्रारम्भ 23 अक्टूबर, बुधवार को देर रात 1:18 पर होगी, जबकि यह तिथि बृहस्पतिवार 24 अक्टूबर, को देर रात 1:58 पर समाप्त होगी। इस प्रकार सूर्योदय की तिथि 24 अक्टूबर को पड़ने के अनुसार अहोई अष्टमी का व्रत 24 अक्टूबर, बृहस्पतिवार के दिन रखा जाएगा।
इस दिन माता पार्वती के अहोई स्वरूप की अराधना की जाती है। इस दिन स्त्रियां अपनी संतान के लिए उपवास करती है और बिना अन्न-जल ग्रहण किये निर्जल व्रत रखती है। इस व्रत को करने से संतान खुशहाल होने के साथ ही दीर्घायु भी होती हैं। रोगों से उनकी रक्षा होता है और स्याऊं माता बच्चों का भाग्य बनाती है, बुरी नजर से बचाती हैं। इस व्रत को करने से घर में सुख समृद्धि आती है, बच्चे करियर में तरक्की करते हैं। नि:संतान महिलाएं भी बच्चे की कामना में अहोई अष्टमी का व्रत रखती हैं।
सांयकाल को कुछ लोग तारों को अर्घ्य देकर और कुछ लोग चन्द्रमा को अर्घ्य देकर व्रत को पूर्ण करती है। इस दिन सायंकाल दीवार पर 8 कोणों वाली एक पुतली बनाई जाती है और पुतली के पास ही स्याऊ माता और उनके बच्चे बनाये जाते है। ये व्रत संतान सुख और संतान की कामना के लिये किया जाता है। शाम को व्रत कथा का पाठ किया जाता है।
इस दिन पूजा मुर्हूत सायंकाल 05ः42 से 06ः59 है।
तारों को देखने के लिए समय सायंकाल 6:06
अहोई अष्टमी को चन्द्रोदय समय -रात्रि 11:55 पर