ज्योतिषाचार्य एस. एस. नागपाल
लखनऊ। दीपावली पर्व महालक्ष्मी पूजा का विषेश पर्व है। कहते हैं कि अर्धरात्रि में महालक्ष्मी विचरण करती हैं। दीपक जलाने से महालक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और उस घर में निवास करती हैं।
31 अक्टूबर, दीपावली के दिन प्रातःकाल स्नान करके भगवान विष्णु के निर्मित दीपक प्रज्वलित करें। दीपावली के सांयकाल शुभ लग्न में गणेश, लक्ष्मी और कुबेर भगवान का पूजन करें। महानिशिथ काल में महाकाली का पूजन करना चाहिए। महाकाली पूजा से मनोकामनाओं की पूर्ति शत्रु और मुकदमें में विजय प्राप्त होती है। दीपावली पर दक्षिणावर्तीं शंख, श्री यंत्र, गोमती चक्र, हल्दी की गांठ, कोड़िया, कमल गट्टा के बीज़, लघु नारियल आदि को भी स्थापित करने से सुख सौभाग्य धन वृद्धि होती है। लक्ष्मी कुबेर मन्त्र, लक्ष्मी श्रीसूक्त, कनकधारा स्त्रोत का पाठ धनदायक है। मां लक्ष्मी प्रसन्न होकर धन-धान्य, सौभाग्य, पुत्र-पौत्र, ऐश्वर्य और प्रभुत्व इत्यादि का वरदान देती हैं।
लक्ष्मी पूजा प्रदोष, वृषभ लग्न और सिंह लग्न में करना श्रेष्ठ है और काली पूजा अमावस्या मध्य रात्रि में करना श्रेष्ठ है।
दीपावली पर महालक्ष्मी पूजन शुभ मुहूर्त- प्रदोषकाल, स्थिर लग्न वृषभ एवं सिंह लग्न श्रेष्ठ होता है। इस वर्ष शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैः-
कुंभ लग्न- दिन 01ः40 – 03:09 (ऑफिस / व्यवसायिक स्थल में पूजा हेतु)
प्रदोषकाल- सायंकाल 05ः19 – 06:31 और वृषभ लग्न- सायंकाल 06:13 – 08:09 (घर में पूजा हेतु)
सिंह लग्न- रात्रि 12:47 – 03:01 (साधना और सिद्धि हेतु)
महानिशिथ काल- रात्रिकाल 11ः39 – 12ः31 (काली पूजा हेतु)