डॉ अखंड प्रताप सिंह
जगपति धाम, श्रावस्ती से। पिछले काफी समय से किसी न किसी के मुख से पहाड़ी बाबा के अचंभित करने वाले किस्से सुना करता था पर पिछले तीन महीने से तो ये सिलसिला रोज का हो गया है। पहाड़ी बाबा के बारे में तकरीबन हर रोज ही लखनऊ के अपना (किसान) बाजार व्यापार मंडल के अध्यक्ष मंगल सिंह के मुख से उनके चमत्कार के किस्से सुनने को मिल जाते हैं।
पहाड़ी बाबा के पास (उनके आश्रम जगपति धाम जो बहराइच से तकरीबन 40 किमी की दूरी पर स्थित है) मंगल सिंह का पहली बार जाना सन् 1972 में हुआ था, तबसे अनवरत रूप से उनका इस आश्रम में आना जाना लगा रहता है। उनके द्वारा सुनाए पहाड़ी बाबा के किस्सों के आकर्षण से मैं भी अछूता नहीं रह सका और कल 7 फरवरी को पहाड़ी बाबा के पुण्यतिथि पर मैं भी मंगल सिंह और अपने मित्र दीपांकर भटनागर के साथ जगपति धाम पहुंच गया। बाबा की पुण्यतिथि थी तो जाहिर तौर पर वहां उनके प्रति आस्था रखने वालों की काफी भीड़ भी थी। आसपास के क्षेत्रों के अलावा काफी लोग दूरदराज से पहुंचे थे। काफी लोग तो नेपाल से भी आए थे।
वहां पर हर कोई पहाड़ी बाबा से जुड़ा अपना व्यक्तिगत अनुभव सुना रहा था। सबके पास एक से बढ़कर एक अविश्वस्नीय अनुभव थे। किसी के पास बाबा की कृपा से खुद के जान बच जाने की कहानी थी तो किसी के पास उनके बच्चों के सरकारी नौकरी लगने की। कोई अदालत से बरी होने की बात कर रहा था तो कोई दरिद्रता दूर होकर धनवान बनने के किस्से सुना रहा था।
वहां जाकर पता चला कि पहाड़ी बाबा का असली नाम दयाल गिरी था और उनका जन्म 20 मार्च 1805 को नेपाल के काठमांडू जिले के बाणेश्वर नामक गांव में हुआ था। 7 फरवरी 2011 को 206 वर्ष की आयु में समाधि लेने के पहले पहाड़ी बाबा तकरीबन सौ साल तक बिना भोजन के जीवित रहे। उनके चमत्कार के किस्से बेमिसाल हैं। हालांकि पहाड़ी बाबा का आश्रम किसी आधुनिक आश्रम जैसा तो नहीं है फिर भी उनके श्रद्धालुओं ने इसको रमणीय बनाने का प्रयास जरूर जारी रखा हुआ है। पहाड़ी बाबा के शरीर त्यागने के बाद से आश्रम की देखभाल उनकी शिष्या रीता गिरी (पट्टू) करती हैं।
पहाड़ी बाबा के भक्तों में बढ़ोत्तरी तो निरंतर हो रही है पर शासन प्रशासन की तरफ से इस स्थल को विकसित करने का कोई प्रयास नहीं दिखता। जबकि सरकार इसे बड़े आध्यात्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करा सकती है जिससे न सिर्फ बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं को बाबा के कृपा का लाभ मिलेगा बल्कि सरकार को अच्छे राजस्व की प्राप्ति भी हो सकती है।