डॉ अखंड प्रताप सिंह
नई दिल्ली. कल 22 अप्रैल को पहलगांव में छुट्टियां मना रहे पर्यटकों में से हिन्दू पर्यटकों को ढूंढ ढूंढ कर मारना हैवानियत की इंतिहा थी. इसकी जितने कड़े शब्दों में भर्त्सना की जाए वो कम है. अब आम जनों के पास इसके अलावा और कोई विकल्प भी नहीं पर अब समय आ गया है कि सरकार मुस्लिम आतंकवाद से आरपार की लड़ाई लड़े. निश्चित रूप से वर्तमान केंद्र सरकार ने उरी और पुलवामा अटैक के बाद मुंहतोड़ जवाब दिया था पर कल की वारदात ने इस भ्रम को तोड़ दिया कि कश्मीर के हालात अब सामान्य हो गए हैं या सामान्य होने की राह पर हैं.
विशेषज्ञ बता रहे हैं कि पिछले 25 वर्षों में पर्यटकों पर किया गया ये सबसे बड़ा आतंकी हमला है पर सच मायने इन सब आंकड़ों से बहुत ऊपर, बड़ी सुनियोजित तरह से किया गया ये सबसे बड़ा आतंकी हमला है.
दरअसल पिछले कुछ सालों में केंद्र सरकार की कड़ाई और उसकी स्पष्ट नीतियों की वजह से कश्मीर में स्थिति बड़ी तेजी से सामान्य होने की तरफ अग्रसर थी. ऐसा मैं इसलिए भी बड़े दावे के साथ कह सकता हूं क्योंकि पिछले साल जून में, मैंने एक सप्ताह परिवार के साथ कश्मीर की वादियों में गुजारा था. इस दौरान श्रीनगर, गुलमर्ग, पहलगाम, सोनमर्ग आदि जगहों पर दर्जनों स्थानीय लोगों से बात भी की थी. ज्यादातर कश्मीरी वादी में भारी संख्या में पर्यटकों के आने से बेहद खुश थे. एक बार फिर से उनकी जीवन शैली सामान्य स्थिति की तरफ लौट आई थी. हालांकि धारा 370 को हटाने को लेकर ज्यादातर कश्मीरियों में गुस्सा था पर पापी पेट के सवाल पर उसको भी उन्होंने स्वीकार कर लिया था.
वैसे तो कश्मीर के चप्पे चप्पे पर सुरक्षाबल तैनात हैं जो हिन्दू पर्यटकों के मन में एक सुरक्षा का अहसास कराते हैं. ये एक सबसे बड़ी वजह है जिससे कश्मीर में पर्यटकों का आना दिन ब दिन बढ़ रहा था. हालांकि सुरक्षाबलों की भारी संख्या में तैनाती को लेकर टैक्सी सेवा देने वाले कश्मीरियों में बड़ा जबरदस्त गुस्सा है, पर रोजी रोटी को ध्यान में रखकर वो अपनी भावनाएं प्रकट नहीं करते हैं.
अब कल के इस हमले के बाद कश्मीर में पर्यटन उद्योग एक बार फिर से दम तोड़ता नजर आएगा. इस बार गर्मी की छुट्टियों में बड़ी संख्या में सैलानी कश्मीर पहुंच रहे थे पर अब जो वहां हैं वो भी जल्द से जल्द वहां से बाहर निकलना चाहते हैं. दूसरी तरफ देश भर से जिन पर्यटकों ने कश्मीर की बुकिंग करा रखा है वो अपनी बुकिंग कैंसिल करा रहे हैं.
यह कहना गलत नहीं होगा कि ये आतंकी हमला जहां अब हिंदू और मुसलमान के बीच की खाई को और गहरा कर गया वहीं कश्मीर में पर्यटन से अपनी जीविका चलाने वाले कश्मीरी मुस्लिमों के पेट पर भी लात मार गया.